इक दुनिया है मेरी प्यारी सी
थोड़ी बेखबर थोड़ी न्यारी सी
जहाँ मैं दुनिया से अनजान हो
हर पल नये ख्वाब बुनता हूँ
मदहोश हो बस दिल की सुनता हूँ
अपना रास्ता खुद ही चुनता हूँ
कोई यहाँ पराया नहीं है
कोई यहाँ ठुकराया नहीं है
हर शख्स यहाँ अपना सा है
नफ़रत की बुरी छाया नहीं है
वजूद अपना किसी ने खोया नहीं है
ज़मीर किसी का यहाँ सोया नहीं है
है ईमान से सब अपना पेट पालते
पाप का बोझ हमने ढोया नहीं है
बस प्यार ही इक इबादत है हमारी
प्यार बाँटना ही फ़ितरत है हमारी
प्यार ही इक रिश्ता जो पनपता है
प्यार ही सिर्फ़ एक ताकत है हमारी
~~डॉ. पंकज वर्मा।
very good.. kya baat hai lajavab!
ReplyDeletePrem ki Ganga bahaate chalo... Sundar blog hai...
ReplyDeleteNice presentation.. Check my Hindi poems at
ReplyDeletehttp://www.belovedlife-santosh.blogspot.com.
पंकज जी, इस शमा को जलाए रखिएगा।
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कब तक ढ़ोना है मम्मी, यह बस्ते का भार?
आओ लल्लू, आओ पलल्लू, सुनलो नई कहानी।
पंकज भाई, शायद आपने ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।
ReplyDeleteवजूद अपना किसी ने खोया नहीं है
ReplyDeleteज़मीर किसी का यहाँ सोया नहीं है
है ईमान से सब अपना पेट पालते
पाप का बोझ हमने ढोया नहीं है
behtreen panktiyan.... bahut sunder
apka swagat hai sir.....
ReplyDeletedhanyavad doston !!! aap sabki honsla afzai ke liye...........
ReplyDeleteWelcome to blogging world.... Best wishes
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