Friday 7 October 2011

HI DOSTON, its a representation of a feeling that you have in mind when all the ridiculous orthodox customs and narrow mindedness of people leaves you no choice but to give up what you desire, inspite of knowing the fact that morally you are much of sane mind and what u want is totally truth and descent


इक तड़प है जो जीने नहीं देती,
इक बैचेनी है जो सोने नहीं देती।

बेबुनियाद बेमानी बेनूर सी बंदिशें हैं,
इक बेबसी है जो जुड़ने नहीं देती।

 चमकीली सी दुनिया का, काला सा चेहरा है,
 इक मायूसी है जो हंसने नहीं देती।

शक की कंटीली बेड़ियों से है रिश्ते जड़े,
इक जंज़ीर है जो मिलने नहीं देती।

प्यार की फ़ुलवारी को किसकी नज़र लगी
इक दीमक है जो खिलने नहीं देती।

मानवता के हर कदम पे, ठोकर लग जाती है
इक हैवानियत है, जो चलने नहीं देती।

ऐ ज़िन्दगी! तू प्यार है पर तुझसे एक शिकायत है,
मैं तेरा हूँ, पर तू किसी को मेरा होने नहीं देती।
~डॉ. पंकज वर्मा.