Thursday 8 September 2011

‘मेरी दुनिया’


इक दुनिया है मेरी प्यारी सी
थोड़ी बेखबर थोड़ी न्यारी सी
जहाँ मैं दुनिया से अनजान हो
हर पल नये ख्वाब बुनता हूँ
मदहोश हो बस दिल की सुनता हूँ
अपना रास्ता खुद ही चुनता हूँ
कोई यहाँ पराया नहीं है
कोई यहाँ ठुकराया नहीं है
हर शख्स यहाँ अपना सा है
नफ़रत की बुरी छाया नहीं है
वजूद अपना किसी ने खोया नहीं है
ज़मीर किसी का यहाँ सोया नहीं है
है ईमान से सब अपना पेट पालते
पाप का बोझ हमने ढोया नहीं है
बस प्यार ही इक इबादत है हमारी
प्यार बाँटना ही फ़ितरत है हमारी
प्यार ही इक रिश्ता जो पनपता है
प्यार ही सिर्फ़ एक ताकत है हमारी

~~डॉ. पंकज वर्मा।

"KHILTA HUA CHEHRA"


वो खिलता हुआ चेहरा तेरा
देखने को जी चाहता है
वो शरमाता हुआ कजरा तेरा
देखने को जी चाहता है

वो तेरी मसूमियत जो
नादान बना देती है
वो तेरी शैतानियाँ
देखने को जी चाहता है

वो तेरी नाराज़गी जो
पल में बैचेन कर देती है
वो पल में तुझे मनाने
को जी चाहता है

वो टूट जाना तेरा
मेरे पहलू में आकर
वो फ़िर तेरे आँसुओं से
भीगने को जी चाहता है

वो प्यार भरे नाज़ुक
हाथों से मुझे खिलाना
वो फ़िर से तेरी उंगली
काटने को जी चाहता है

वो सहम जाना तेरा
मेरे जाने का सोचकर
वो तेरी गोद में महफ़ूज़
होने को जी चाहता है

वो तड़प जाना तेरा
मुझे जाता देखकर
उन तरसती नज़रों को
चूमने को जी चाहता है

वो हर बार मेरे जाने
पर तेरा शिकायत करना
वो फ़िर से तुझे प्यार
देने को जी चाहता है

~डॉ. पंकज वर्मा।