‘फ़ितरत’
फ़िर भी हर आरज़ू का इन्तज़ार करता हूँ।
जानता हूँ हर शख्स का इस्तेमाल होता है
फ़िर भी हर शख्स से मैं प्यार करता हूँ
जानता हूँ रिश्ते अक्सर बेवफ़ा होते हैं
फ़िर भी हर रिश्ते पर ऐतबार करता हूँ।
जानता हूँ पाक नहीं हैं दुनिया की नज़रें
फ़िर भी हर नज़र का मैं दीदार करता हूँ।
फ़िर भी इक हमसफ़र की तलाश करता हूँ।
जानता हूँ ‘ज़िन्दगी’ तेरे लिये मैं कुछ भी नहीं
पर मेरे लिये तू, ‘सबकुछ’ इकरार करता हूँ।
~ डॉ. पंकज वर्मा।
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